साँसे और आध्यात्मिकता ( Management of breathing and spirituality) पार्ट - 1
दैवीय शक्तियों से संपर्क बढाने के लिए हमारे पास कई तरह के साधन उपलब्ध है , जिनमे से महत्त्वपूर्ण साधन है -- हमारी साँसों की शक्ति , क्योकि साँसों के द्वारा भी ब्रह्मांडीय ऊर्जा शरीर मे प्रवेश करती है | मस्तिष्क जितनी ज्यादा ब्रह्मांडीय ऊर्जा को ग्रहण करता है ...उतना ही दैवीय शक्तियों से संपर्क करने की उसकी क्षमता बढ़ती चली जाती है | जब साँसे गहरी होती है तब शरीर ज्यादा ऊर्जा को ग्रहण करता है इसी तरह जब साँसे छोटी होती है तो दैवीय शक्ति शरीर में कम प्रवेश करती है | सामान्य रूप से देखे तो एक शिशु की साँसे की सबसे ज्यादा गहरी होती है जबकि एक वृद्ध व्यक्ति की लगभग उथली/छोटी साँसे होती है | योगाभ्यास में सांसों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया गया है | उसकी वजह यही है... बाहर जाती सांसें अपने साथ कार्बन डाइऑक्साइड के साथ नकारात्मक ऊर्जा को भी बाहर करती है शरीर से | गहन ध्यान की अवस्था में , नींद में अथवा हिप्नोटिज्म की अवस्था में सांसें अकसर गहरी हो जाती हैं | गहरी सांसों में आपका संपर्क आपके अवचेतन मन से बढ़ जाता है | साँसे जो हमारे लिए साधारण
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