श्री युक्तेश्वर जी के प्रेरणाप्रद वाक्य
श्री युक्तेश्वर जी , श्री परमहंस योगानंद जी के गुरु थे | बंगाल के शेरम्पोर नाम के नाम के स्थान पर इनका आश्रम था | श्री परमहंस योगानंद जी ने अपने गुरु के आश्रम में कई वर्ष बिताए | श्री युक्तेश्वर जी लाहिड़ी महाशय के शिष्य थे | श्री युक्तेश्वर जी का जन्म 10 मई 1855 में हुआ था | युक्तेश्वर का अर्थ है - ईश्वर से युक्त | आप आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहते थे अर्थात अपने योग-क्षेम स्वयं वहन करते थे | आप अपने शिष्यों को या सुनने वालों से दान आदि नहीं लेते थे | इनका एक मात्र उद्देश्य ईश्वर के साथ-साथ रहना और अपने शिष्यों को ईश्वर के साथ-साथ एकमेव कैसे हुआ जाए यह सिखाना था इनके कुछ प्रेरणास्पद वाक्य नीचे दिए जा रहे हैं ……... युक्तेश्वर का अर्थ है - ईश्वर से युक्त | योगानंद जी ने अपने गुरु के बारे में कहा है - “करुणा के संबंध में कुसुम से भी कोमल, सिद्धांतों के दांव लगने पर वज्र से भी कठोर” श्री युक्तेश्वर जी का पारिवारिक नाम प्रकाशनाथ करार था यह अपने शिष्यों को लेकर बहुत ही कठोर रहते थे |